घर – घर नारी , घर – घर केस ।
जिसकी लाठी , उसकी भैंस ।।
लुटेरी दुल्हन ,का धर लो भेष ।
जितनी मर्ज़ी ,ठोको केस ||
पिता हमारे, हमको प्यारे |
पति को हम , दीखा दे तारें ||
मॉ की हर बात हम माने |
सास कहे तो समझे ताने ||
पति जो थक कर घर को आए|
मजाल हमें वो आँख दिखाए ||
पानी गर उसने माँग लिया ।
हमने बीमारी का स्वाँग किया।।
हम आज की माडर्न नारी ।
पति परिवार पर पड़ेंगी भारी ।।
अगर पति ने चूँ भी की तो।
दिखला देंगे जेल की द्वारए।।
जो ना करे नारी सम्मान,
करना होगा उन्हें भुगतान।
महिला पिता से , मन की बात ।
महिला पतियों से , धन की बात ।।
नरीयो की है बढ़ी महत्ता,
घर – घर पति दे गुजारा भत्ता ,
वाह रे कानून , तेरा खेल ।
पति न्याय मांगें तो ,भेजो जेल ।।
एकतरफा क़ानून पर महिलाओं का राज।
मासूम पति को काँटों का ताज ।।
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