बेच देती है

bech_deti_hai
बेच देती है

कोई हार तो कोई अपनी चूड़ी बेच देती है..
मिले अगर भाव अच्छी, जज भी कुर्सी बेच देती है,

तवायफ फिर भी अच्छी, के वो सीमित है कोठे तक..
पुलिस वाली तो चौराहे पर वर्दी बेच देती है,

भेज देती है सास को व्रुध आश्रम अक्सर वही बहू..
के जिस बहू के मकान की खातिर सास अपने जेवर बेच देती है,

कोई मासूम लड़का प्यार में कुर्बान है जिस पर..
वही लड़की किसी पैसे वाले को यार बनाकर प्यार बेच देती  है

ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें..
कली, फल फूल, पेड़ पौधे सब मालन बेच देती है,

किसी ने प्रेमिका की खातिर अपने ख्वाब  को मारा तो क्यूँ हैरत है लोगों को..
गंगा तो पानी में डूबो के अपने बच्चों को मार देती है…!!

धन से बेशक गरीब रहो पर दिल से रहना धनवान
अक्सर झोपडी पे लिखा होता है “सुस्वागतम”
और महल वाले लिखते है “कुत्ते से सावधान”

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*