भारत के कानून

1) क्या आपको पता है की अगर दो नाबालिक लड़के लडकिया सहमति से सेक्स करते है और अगर वो पकडे जाते है तो लड़के पर लड़की के रेप करने का मामला दर्ज होता है, लड़के की ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है। एक बात समझ नहीं आई की लड़की के ऊपर लड़के का रेप करने का मामला दर्ज क्यों नहीं होता?

2) अगर आप विवाहित पुरुष है और अगर आपकी पत्नी आपसे चोरी चुपके किसी की रखैल बनकर रहती है और किसी और के बच्चे की माँ बन जाती है तो भारतीय कानून के अनुसार वो बच्चा आपका ही माना जाएगा भले वो आपका न हो, और उस बच्चे का भरण पोषण आपको ही करना पड़ेगा। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको जेल में ठूस दिया जाएगा। कुल मिलाकर आपकी रखैल पत्नी को कोई सजा नहीं होगी।

3) अगर आपकी पत्नी चरित्रहीन है तो आप उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकते। सिर्फ तलाक ले सकते है। भारतीय कानून के अनुसार सिर्फ चरित्रहीन पुरुष को ही सजा दी जा सकती है, चरित्रहीन औरत को नहीं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आफताब आलम ने इस कानून की भर्त्सना करते हुए इसे पुरुष विरोधी बताया था।

4) अगर कोई महिला आपका यौन शोषण करे तो आपको कोई न्याय नहीं मिलेगा क्योंकि भारतीय कानून में ऐसी औरतो के लिए कोई प्रावधान ही नहीं है।

5) हमारे देश में हर साल कई महिला शिक्षक नाबालिक छात्रो के साथ सेक्स करती है लेकिन उन महिला शिक्षको पर कोई रेप केस दर्ज नहीं होता क्योंकि भारतीय कानून व्यवस्था 18वी सदी की है जिसके अनुसार महिला रेप कर ही नहीं सकती, जबकि इंग्लैंड में 64000 ऐसी महिलाओ को नाबालिक लड़को का रेप करने के आरोप में जेल में डाला जा चुका है।

6) अगर आपकी पत्नी आप को मानसिक प्रताड़ना देती है या शारीरिक हमला करती है तो उसको घरेलु हिंसा का दोषी नहीं माना जाएगा, लेकिन आपको माना जाएगा।

7) अगर शादी के बाद आप अपनी पत्नी से पैसा मांगते है तो उसको दहेज़ माना जाएगा जबकि अगर वो आपसे पैसा मांगे तो उसको दहेज़ नहीं माना जा सकता, वह उसका हक है।

क्यों?

कैसे लगे आपको भारत के कानून? और इन बातो का जवाब भारत के स्त्री समुदाय के पास है ही नहीं, कैसे होगा? क्योंकि देश का स्त्री समुदाय कहीं न कहीं पुरुष विरोधी तो है। इन कानूनों को कहते है “तालिबानी कानून” और एक बात, महिलाओ के ऊपर देश का बिकाऊ मीडिया खूब सर्वे करता है, केंद्र सरकार खूब सर्वे करती है जिसमे महिला अत्याचार इत्यादि का जिक्र रहता है, लेकिन पुरुषो के ऊपर आज तक कोई सर्वे नहीं किया गया। उसके बाद कुछ मुर्ख कहते है कि “हमने तो नहीं सुना की पुरुष भी पीड़ित है”।

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