पिताजी बूढ़े हो जाते हैं

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं

हर साल सर के बाल कम हो जाते हैं…

बचे बालों में और भी चाँदी पाते हैं..

चेहरे पे झुर्रियों की तादाद बढ़ा जाते हैं…

रीसेंट पासपोर्ट साइज़ फोटो में,

कितना अलग नज़र आते हैं….

“अब कहाँ पहले जैसी बात” कहते जाते हैं…

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं…..!!

सुबह की सैर में चक्कर खा जाते हैं…

सारे मोहल्ले को पता है, पर हमसे छुपाते हैं…

दिन प्रतिदिन अपनी खुराक़ घटाते हैं…और,

तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते हैं…

ढीली हो गयी पतलून को टाइट करवाते हैं….

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं…..!!

किसी के देहान्त की ख़बर सुन घबराते हैं…

और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते जाते हैं….

हमारे मोटापे पे हिदाय़तों के ढेर लगाते हैं…

‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत’ हर दफ़े बताते हैं…

“रोज़ की वर्जिश” के फ़ायदे गिनाते हैं…

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं….!!

हर साल बड़े शौक से बैंक जाते हैं….

अपने ज़िन्दा होने का सबूत दे कितना हर्षाते हैं….

ज़रा सी बढ़ी पेंशन पर फूले नहीं समाते हैं…

एक और नई FIXED DEPOSIT करके आते हैं…

खुद़ के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते हैं….

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं…..!!

चीज़े रख के अब अक़्सर भूल जाते हैं….

उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठा लेते हैं…..

अब भी माँ से पहले की ही तरह नाराज हो जाते हैं….

पर उनसे अलग भी कभी रह नहीं पाते हैं….

एक ही किस्से को पता नहीं कितनी बार दोहराते हैं…

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं…..!!

चश़्मे से भी अब ठीक से नहीं देख पाते हैं…

ब्लड प्रेशर की दवा लेने में आनाकानी मचाते हैं….

एलोपैथी के साइड इफ़ेक्ट बताते रहते हैं….

योग और आयुर्वेद की ही रट लगाए रहते हैं….

अपने ऑपरेशन को और आगे टलवाते रहते हैं….

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं……!!

उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते हैं…

लौकी, तुरई और धुली मूंग ही अधिकतर खाते हैं….

दांतों में अटके खाने को तीली से खुज़लाते हैं…

किन्तु डेंटिस्ट के पास जाने से घबराते हैं….

काम चल तो रहा है की ही धुन बजाते हैं….

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं….!!

हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट जोहते रहते हैं…

अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमक़ाते हैं…

हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते हैं….

हर छोटी-बड़ी फ़रमाईश पूरी करने के लिए,

फ़ौरन ही बाजार दौड़े दौड़े चले जाते हैं….

पोते-पोतियों से मिल कितने कितने आँसू टपकाते हैं….

देखते ही देखते पिताजी बूढ़े हो जाते हैं…..!!

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