पति इंसान मात्र नहीं

पति इंसान मात्र नहीं
पति इंसान मात्र नहीं

कितनी खूबसूरती से लिखा है पत्नी ने अपनी पति के बारे मे …..

मैं सोती हूँ घर में शाँति हो जाती है वो सोते है घर में सूनापन छा जाता है।

मैं घर लौटती हूँ इधर उधर की बातें ले कर, लेकिन घर में रौनक तो बस उनकी वापसी से होती है ।

सारी उम्र मेरी ज़ुबान पर बस फरमाइशें रही, और उनकी  जिंदगी में बस परिवार की ज़िम्मेदारी रही।

मुझे देख परिवार में सब मुस्कुरा उठते है, लेकिन उन्हें देख कर सुरक्षा और शक्ति का एहसास आता है।

पत्नी से घर में अन्नपूर्णा का आती है तो पति से घर में आत्मविश्वास व लक्ष्मी का वास होता है ।

पति चुट्कुले और उपहास का पात्र नहीं, वो हमसफर है, रक्षक है, परिवार की शक्ति है, पालनकर्त्ता है, इंसान मात्र नहीं।

Dedicated to All The Respected Men

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